आयुर्वेदीय आहारविधी भाग-1
उष्णं अश्नीयात्
आहारविधी एवं आहारनियमों के बारे मे आयुर्वेद मे जितना सूक्ष्मातिसूक्ष्म विचार किया गया है, शायद ही उतना किसी अन्य शास्त्र मे किया गया हो।......
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उष्णं अश्नीयात्
आहारविधी एवं आहारनियमों के बारे मे आयुर्वेद मे जितना सूक्ष्मातिसूक्ष्म विचार किया गया है, शायद ही उतना किसी अन्य शास्त्र मे किया गया हो।......
read moreआयुर्वेदोक्त आहार संकल्पना
आहार जीवन का एक अभिन्न अंग है। जीवन परंपरा कायम बनाये रखने के लिए भोजन अति आवश्यक है।अगर आदमी को भूख ही नही लगती तो शायद संसार मे क्रिया कलाप ही न होता। इस भूख को संतुष्ट करने के लिए आहार परम आवश्यक है। पर यही आहार अगर विधिवत नही लिया जाता......
read moreक्यूँ सबका कोलेस्टेरॉल बढता है आजकल?
हॉस्पीटल के बाह्यरुग्ण विभाग (OPD) मे आनेवाले 10 रुग्णों मे से कम से कम एक रुग्ण का कोलेस्टेरॉल, ट्रायग्लिसराईड्स, एल. डी. एल. अर्थात लिपीड प्रोफाइल (Lipid profile) बढ़ा हुआ रहता है और मजे की बात तो यह है की यह बताते वक्त रुग्ण मे......
read moreक्या आयुर्वेदिक औषधियोंके दुष्परिणाम होते है?
एलोपैथी (आधुनिक चिकित्सा विज्ञान) पिछले कुछ शतकों से ही अस्तित्व में है। इसमें से पिछले 100 सालों में ही बहोत सी नई नई एलोपैथिक औषधियाँ बाजार में आई और जितनी आई उससे आधी तो विविध देशो की सरकारो द्वारा प्रतिबंधित की गई। इस प्रतिबन्ध का मुख्य कारण था ......
read moreस्वामीआयुर्वेद काला मुनक्का सेन्द्रिय पद्धती (organic method) से विकसित (cultivate) किया जाता है, जिससे उसमे प्राकृतिक गुणोपलब्धि अपनी चरमसीमा पर रहती है। यह काला मुनक्का विविध व्याधियों में उपयोग किया जाता है। ऐसी ही कुछ व्याधी तथा अवस्थाओं का वर्णन आपकी सेवा में प्रस्तुत है।
1) काला मुनक्का यह मधुर, गुरु, स्निग्ध् और बृहण होने के कारण सभी वात-पित्त के विकारों में उपयोग......
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