दिनचर्या भाग १० - कर्णपूरणम
Filling the Ear
परिचय -
कर्णपूरण यह दिनचर्या का एक उपक्रम है। कर्णपूरण अर्थात तिल तैल अथवा अन्य किसी भी औषधसिद्ध तैल से कान भर......
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Filling the Ear
परिचय -
कर्णपूरण यह दिनचर्या का एक उपक्रम है। कर्णपूरण अर्थात तिल तैल अथवा अन्य किसी भी औषधसिद्ध तैल से कान भर......
read moreदिनचर्या भाग - 9
अंजन तथा आश्च्योतन
दिनचर्या उपक्रमों मे नेत्रसुरक्षा को ध्यान मे रखकर अंजन तथा आश्च्योतन जैसे उपक्रमों का भी समावेश किया गया है। वस्तुतः अंजन और आश्च्योतन इन दोनो उपक्रमों मे फर्क है, फिर भी दोनो नेत्रस्वास्थ्य बनाये रखने के लिए अतीव उपयोगी है।
आयुर्वेदानुसार आँखो का स्वास्थ्य बना रहे इसलिए रोज ......
read moreदिनचर्या भाग 8 -
नस्य Nasal Drops
नाक से औषधि द्रव्य प्रयुक्त करने को आयुर्वेदीय परिभाषा मे 'नस्य' करना कहते है। नस्य के मोटे तौर पर दो प्रकार होते है।
1. दैनिक नस्य
2. पंचकर्मान्तर्गत नस्य
दैनिक नस्य रोज किया जाता है। दैनिक नस्य से आँख, नाक तथा कानों की प्राकृतिक कर्मशक......
read moreदिनचर्या भाग 7 - स्नान (Bathing)
दिनचर्या मे क्रमानुसार व्यायाम के बाद स्नान करना अपेक्षित होता है। परंतु व्यायाम के तुरंत बाद स्नान नही किया जाता यह ध्यान रहे। 45 मिनीट तक आराम करने के बाद ही स्नान करना चाहिए। इस 45 मिनीट मे समाचार पत्र पढना, सोशल मीडिया की सैर करना, पूरे दिन के कामों का प्लानिंग करना ऐसे काम बैठे बैठे किये जा सकते है। इन प्रवृत्तिओं के दरम्यान कुछ खाना......
read moreदिनचर्या अनुक्रम में अभ्यंग के बाद व्यायाम का क्रम आता है। शरीर निरोगी, सुदृढ और मजबूत बनाये रखने मे व्यायाम की अहम भूमिका होती है। नियमित व्यायाम करने से शरीर की कार्यक्षमता बढती है और काम करते वक्त थकान का अनुभव नही होता। इसलिए आयुर्वेद के ऋषि-मुनीयों ने व्यायाम को दिनचर्या मे स्थान दिया है। व्यायाम बिना अभ्यंग के नही करना चाहिए क्योंकि व्यायाम करने से वात बढता है और अभ्यंग करके व्यायाम......
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