Vaidya Somraj Kharche, M.D. Ph.D. (Ayu) 20 Sep 2018 Views : 1216
Vaidya Somraj Kharche, M.D. Ph.D. (Ayu)
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मंजन के बाद टूथपेस्ट का उपयोग

सुबह नींद से जागने के बाद मुखशुद्धि के लिए सभी भारतीय प्राचीन काल से मंजन का उपयोग किया करते थे। परंतु ब्रिटिश आये और हमारी दिनचर्या और पूर्ण जीवनशैली ही बदल गई। मंजन की जगह हम लोग टूथपेस्ट का उपयोग करने लगे और टूथपेस्ट का उपयोग कर अपने आप को आधुनिक समझने लगे। टूथपेस्ट के उपयोग का परिणाम यह निकला की पहले सिर्फ बडे शहरों मे डेन्टिस्ट हुआ करते थे। बाद मे जिला स्तर पर दिखने लगे। पश्चात तालुका स्तर और आज दस-बारा छोटे गाँव मिलाकर एक-दो डेंटिस्ट होते है। मतलब दंतविकारों की संख्या मे पहले से कई गुना वृद्धि हुई। आज तो ऐसी स्थिती है की उम्र की चालिशी आते आते ही लोग अपने एकाध दो दाँतों से हाथ धो बैठते है।

सम्प्रति टूथपेस्ट के यह दुष्परिणाम तथा वैद्यसमूहों द्वारा मुखस्वास्थ्य के बारे मे किया गया जनजागरण एवम स्वदेशी की लहर के चलते ज्यादातर भारतीयों ने सुबह मंजन करना शुरू कर दिया है। परंतु मंजन भी सभी लोग नियमित नही करते। इसका मुख्य कारण है कि मंजन यह एक सक्रिय प्रक्रिया है। मंजन करते वक्त आपके दोनो हाथ व्यस्त हो जाते है, मतलब आपको मंजन करते वक्त सतर्क/सावधान रहना पडता है, अन्यथा मंजन कपडों पर या नीचे गिरकर घर या कपडे गंदा होने की ज्यादा संभवना रहती है और सुबह सुबह उठने के बाद शरीर मे जो आलस रहता है, उसके चलते मंजन करना सबके जान पर आता है। ब्रश का अच्छा है। अधखुली आँखो से ब्रश पर टूथपेस्ट लगा दी की बिना सचेत रहे, आँख बंद करके भी आप दाँत साफ कर सकते है। उपर से मीठा मीठा। इसलिए टूथपेस्ट से ब्रश करने की पद्धति को सभी ने तुरंत अपना लिया। फिर भी टूथपेस्ट के दुष्परिणामों ने भारतीयों की आँखे खोल दी और अभी ज्यादातर लोग मंजन करते है फिर भी उनके दाँतों की समस्याए कम होने की बजाए पहले से ज्यादा बढी है।

क्या हो सकता है इसका कारण?

संप्रति बाजार मे जितने दंतमंजन उपलब्ध है, उसमे से अधिकांश अत्यंत कसैले (कषाय रसात्मक, Astringent), तथा तीखे स्वाद (रस) वाले होते है। साथ मे थोडा नमक भी डाला हुआ होता है। इस कसैले, तीखे तथा नमकीन स्वाद (रस) की वजह से दाँत तथा मसूडों की चिकनाहट दूर हो जाती है, अर्थात इनका शोधन तो होता है और शोधन के बाद मसूडों के माँस की ग्रहणक्षमता (शोषणक्षमता, Absorption Power) बहोत बढ जाती है। जैसे तीखा एवं नमकीन सूप पीने के बाद आपकी भूख बढती है, बस वैसे ही । ऐसी ग्रहणक्षम स्थिती मे कुछ लोग मंजन करने के बाद तुरंत टूथपेस्ट से भी ब्रश करते है, ताकि दंतमंजन की वजह से बिगडा हुआ मुँह का स्वाद ठीक हो। परंतु उन्हे यह पता नही होता कि मंजन के बाद टूथपेस्ट का उपयोग करने से, टूथपेस्ट मे उपस्थित ट्रायक्लोसन, फ्लोराइड और अन्य केमिकल्स तेज गति से मसूड़ो द्वारा शरीर मे शोषित हो जाते है। ट्रायक्लोसन यह एक जानामाना अंतःस्रावी ग्रंथियो के कार्य की नकल करनेवाला तथा थायराईड हार्मोन के सिग्नलिंग मे गडबड करनेवाला कुख्यात केमिकल है। यह शरीर की व्याधी प्रतिकारक क्षमता को भी दुर्बल बना देता है। बच्चे अगर बचपन से ही ट्रायक्लोसन का सेवन करते है, तो बडा होकर उन्हे श्वासरोग, त्वचारोग तथा तरह तरह की एलर्जीया उत्पन्न होने की संभावना ज्यादा रहती है। फ्लोराइड मसूडों द्वारा शोषित होकर दाँतो मे ही फ्लुरोसिस उत्पन्न करता है। ध्यान से देखा जाये तो यह सब इनके सामान्य मात्रा मे शोषित होने के बादवाले कर्म है ये। परंतु जब यह दोनो केमिकल्स असामान्य मात्रा मे शोषित होते है, तो इससे दुगनी हानी पहुँचाते है।

मंजन करके बाद मे टूथपेस्ट से दाँत साफ करने से यही होता है। यह दोनो केमिकल्स अपनी सामान्य मात्रा से ज्यादा मात्रा मे शोषित होकर (मसूड़ो की तीव्र ग्रहणक्षमता के कारण) और ज्यादा नुकसान करते है। इसलिए मंजन करने के बाद टूथपेस्ट से दाँत साफ करने की बजाए सिर्फ एकाध दो बार ब्रश घूमाना चाहिए जिससे दो दाँत के बीच फॅसे हुए मंजन या दाँतौन के कण निकल जाते है और दाँत उचित तरीके से साफ हो जाते है, अन्यथा टूथपेस्ट का उपयोग कर आप अपने आप को हानि पहुँचा रहे होते है।

मंजन करने के बाद मसूडों का शोधन होने की वजह से अगर मुँह मे तिल का तैल हल्का गर्म करके धारण किया जाय, तो दाँत एवं मसूडे पहले से ज्यादा स्वस्थ एवं मजबूत होते है। इसलिए अपने इस आदत तो बदले एवम स्वस्थ रहे। अस्तु। शुभम भवतु।

 

© श्री स्वामी समर्थ आयुर्वेद सेवा प्रतिष्ठान, खामगांव 444303, महाराष्ट्र, भारत