नारियल पानी और उसका अतिरेकी उपयोग
बाजार में हरा नारियल मिलता है, जिसे छीलकर उसमे जो पानी है उस पानी को हम पीते है। बड़ा ही स्वादिष्ट पानी होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह बलदायक पेय है, जिसे कभी भी पिया जा सकता है। यह त्वरित शरीर धातुओ का पोषण करता है, इसलिये गर्मी के दिनों में होनेवाले डिहाइड्रेशन में यह उत्तम तथा प्रथम पसंदगी का द्रव पेय है। इसमे तरह तरह के इलेक्ट्रोलाइटस भी होते है, इसलिये लोग इसके इन गुणधर्मो से अभिभूत होकर इसे पीने का अतिरेक कर देते है और हम भारतीयों की यह प्रवृत्ति ही है कि एक गोली खाने से अगर अच्छा लगता है, तो हम और अच्छा लगने के लिए 2 गोली खाते है। अब ये 2 गोलियां खाने से अच्छा लगना तो दूर उल्टा अतिमात्रा की वजह से उस गोली के दुष्प्रभाव ही देखने को मिलते है।
नारियल पानी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। नारियल पानी तो प्राचीन काल से भारत मे था ही। पर जब से आधुनिक विज्ञान ने उसके सद्गुणों की पुष्टि की है, तब से भारतीय लोगो ने इसका अतिरेक करना शुरू कर दिया है।
निःसन्देह, नारियल का पानी स्वास्थ्यवर्धक है पर सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तभी।
नारियल पानी का सबसे ज्यादा उपयोग आज रुग्णों को पिलाने के लिए किया जाता है। इसलिये कोई भी बड़े हॉस्पिटल के बाहर आपको हरे नारियल की रेहड़ी लेकर बैठे एक दो लोग तो जरूर मिलेंगे ही। इन रुग्णों को नारियल पानी पिलाते वक्त इस बात का जरा भी ध्यान नही रखा जाता कि उसे जो भी रोग है उसमे नारियल पानी चलेगा या नही? इस तथ्य का ज्ञान न रोगी को होता है न ही डॉक्टर को। बस विज्ञान इसे निरापद मानता है, श्रेष्ठ मानता है इसलिये पिलाते रहो। रोगी को मिलने आनेवाला प्रत्येक व्यक्ति उसके लिए हरा नारियल लेकर ही आता है। मानो यह आज की फैशन ही हो गयी है कि रोगी को मिलने जीते वक्त हरा नारियल लेके जाना होता है।
जिन रोगियों को पित्त या वात के विकार होते है, उनको तो नारियल पानी अनुकूल होता है। पर जिन रुग्णों को सर्दी, खांसी, टीबी जैसे श्वसनसंस्थान के रोग होते है, उन रुग्णों में नारियल पानी कफ बढ़ाकर रोग को बढ़ाते हुए देखा है। इसलिये यह ध्यान में रखना चाहिए कि रोगी को फुफ्फुसों से संबंधित कोई रोग नही है। इसकी खात्री करके ही उसे नारियल का पानी पिलाना चाहिए।
रुग्णों के साथ साथ यही हाल गर्भवती माता-बहनों का भी देखा जाता है। कई परिवारों में यह देखा गया है कि कोई महिला गर्भवती है ये पता चलते ही उसे रोज सुबह शाम हरे नारियल का पानी पूरे नौ महीनों तक पिलाया जाता है। अल्प एवं नियंत्रित मात्रा में यह निश्चित उपकारक है। परंतु इस तरह से उसका अतियोग आनेवाली संतान में श्वसनसंस्थान का कोई न कोई व्याधि उत्पन्न करता ही है। जिसमे अधिकतर बच्चों में बारा महीने सर्दी रहने जैसी विकृतियां पाई जाती है। श्वसनसंस्थान के किसी भी व्याधि में अगर नारियल का पानी एक बार भी पिलाया जाता है तो निश्चित रूप से लक्षणों की वृध्दि होती देखी गई है। इसलिये नारियल पानी का नियंत्रित उपयोग करे अन्यथा यह कितना भी प्राकृतिक ही क्यो न हो, विकृति उत्पन्न करने में इसे जरा भी देर नही लगती यह ध्यान रखे। अस्तु। शुभम भवतु।
SwamiAyurved