Vaidya Somraj Kharche, M.D. Ph.D. (Ayu) 12 Apr 2018 Views : 4099
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नाश्ता/अल्पाहार Breakfast

नाश्ता अर्थात अल्पाहार। यह आधुनिक भारतीयों के जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा है। इसलिए आधुनिक दिनचर्या के अंतर्गत इसका वर्णन किया जा रहा है। नाश्ता मतलब अल्पाहार अर्थात अल्प प्रमाण मे किया गया आहार सेवन। आयुर्वेद दैनिक जीवन मे इस तरह के नाश्ते का पुरस्कार नही करता, सिवाय किसी कालविशेष के। आयुर्वेद मे सिर्फ हेमंत (नवम्बर - दिसंबर )और शिशिर (जनवरी - फरवरी) जैसे शीत ऋतुओं मे नाश्ता करना चाहिए ऐसा बताया गया है। शेष ऋतुओं मे नाश्ते का निषेध है। इन दो शीतऋतुओं मे काल स्वभाव के कारण पाचकाग्नि बलवान होता है। रात लंबी होती है। इसलिए रात को सेवन किया हुआ आहार यथाकाल पाचन होकर सुबह उठते ही भूख लगती है। ऐसी स्थिती मे अगर आहार सेवन नही किया तो प्रदीप्त अग्नि धातुओं का पाचन शुरू कर सकता है। इसलिए हेमंत और शिशिर इन दो ऋतुओं मे प्रातःकाल मे नाश्ता करने की सलाह दी गई है। नाश्ता, वस्तुतः पाश्चिमात्य देशो की संकल्पना है। ब्रिटिश भारतवर्ष मे आने के बाद ही इसका प्रचार-प्रसार हुआ। क्योंकि यह ब्रिटिशों की जीवनशैली का एक हिस्सा है। ब्रिटिश अतिशीत प्रदेशों मे रहते है, जहा पाचकाग्नि निरंतर बलवान ही रहता है। इसलिए सुबह नाश्ता करना उनके लिए आवश्यक है। भारत मे आने के बाद ब्रिटिशों ने अपनी यह आदत चालू ही रखी और मेकॉलेपुत्र भारतीयों ने बिना शास्त्र जाने उनका अंधानुकरण करना शुरू कर दिया। फलस्वरूप वर्तमान परिस्थिती यह है की नाश्ता / अल्पाहार यह भारतीय जीवनशैली का एक अटूट हिस्सा बन चुका है। अतःएव इस विषय पर थोडा प्रकाश डालना आवश्यक है।

1) नाश्ते का समय :

सामन्यतः सुबह 7 से 8 के बीच नाश्ता करना चाहिए। प्रातःकर्मो की समाप्ती के पश्चात ही नाश्ता ग्रहण करना चाहिए। इससे ज्यादा देरी करना उचित नही। कुछ लोग देर रात घर पे आते है। देर से खाते और सोते है और सुबह देर से ही उठते है। ऐसे लोग सुबह 9 या 10 बजे नाश्ता करते देखे जा सकते है। कुछ तो 11बजे भी नाश्ता करते है। वस्तुतः यह तो आयुर्वेद के अनुसार भोजनकाल है। परंतु लोग भोजनकाल मे नाश्ता करते है। बाद मे यही लोग ( जो मुख्यतः व्यापारीवर्ग से आते है) पाचनसंस्थान से संबंधीत दुर्धर व्याधी लेके दवाखाने मे आते है। जिसमे मुख्यतः कोलेस्टेरॉल, ट्रायग्लिसराईडस बढना। बी. पी., डायबिटीस का निदान होना ऐसे मुख्य व्याधी भी होते है। इसलिए हो सके तब तक नाश्ता और भोजन अपने अपने नियत समय पर ही लेना चाहिए। हर कार्य का एक नियत समय होता है। उस नियत समय के बाद किया जानेवाला कार्य कई तरह की समस्याओं को लेकर प्रकट होता है।

2) नाश्ते मे क्या खाना चाहिए ?

चूँकी नाश्ता भारतीय नहीं है। भारतीय आहारशास्त्र मे नाश्ते के बारे मे विवरण मिलता नही है। प्रदेशभिन्नता के अनुसार प्रातःकालीन नाश्ते के मेन्यू मे भी भिन्नता पाई जाती है। परंतु साधारणतः सुबह का नाश्ता मधुर, कटु रसात्मक तथा पाचन मे हल्का तथा पोषणमूल्यो से भरपूर होना चाहिए। नाश्ते मे खजूर, सत्तू, शिरा, लापसी, दूध रोटी, दूध भात, दूध सादा खाखरा, दूध पोहा, रोटी पिसी हुई शक्कर और घी, बाफे हुए मूँग, मटकी, मुरमुरे, भगर यह लिया जा सकता है। मधुर रस शरीर का बृहण करता है, पोषण करता है। इसलिए मधुर रस को ही प्रातः कालीन नाश्ते मे प्राधान्य देना चाहिए। उपमा, आलू-परोठा, आलू-पोहा, पोहा, जीरा परोठा, मसाला परोठा, सादा परोठा भी सेवन किया जा सकता है। परंतु अचार, चटनी, तला हुआ, दही, बेकरी के पदार्थ, खमीर के बने हुए पदार्थ (fermented) जैसे इडली, डोसा, उतप्पम, ढोकला, खांडवी, खमण, सेव-खमणी गलती से भी नही लेने चाहिए। नही तो भयंकर अम्लपित्त का आपको निश्चित ही सामना करना पडेगा इसमे कोई दो राय ही नही। कुछ लोग सुबह नाश्ते मे चाय के साथ रोटी भी खाते है। कुछ चाय के साथ चिवडा, गठियाँ, फाफडा, इंदौरी / बिकानेरी मिक्स भी खाते है। ऐसे लोगों को देरसबेर, निःसंदेह भयंकर अम्लपित्त होता ही है। इसलिए ही चाय के साथ रोटी/परोठा खाना टालना चाहिए। दूध के साथ भी जो रोटी / परोठा / खाखरा खाना है, वह नमकरहित आँटे का बना हुआ होना चाहिए। क्योंकि दूध के साथ नमक का संयोग शरीर के लिए विरुद्ध माना जाता है।

3) नाश्ता कितना लेना चाहिए?

नाश्ता अर्थात अल्पाहार। अल्पाहार यह नाम ही नाश्ते की मात्रा निर्धारित करता है। नाश्ता इतनी ही मात्रा मे लेना चाहिए की दोपहर के भोजनकाल मे कोई बाधा उत्पन्न न हो। मतलब नाश्ता करने के बाद भी भूख तो समयपर ही लगनी चाहिए। कुछ लोग नाश्ते के नामपर भरपेट खाना खाते है। जो कदापि समर्थनीय नही। एक या दो रोटी से ज्यादा नाश्ते मे खाना नही चाहिए। आजकल हम समाचार पत्र-पत्रिकाओं मे नाश्ते के पर किये गये संशोधनो के बारे मे पढते है। कोई कहता है की सुबह भरपेट नाश्ता करना चाहिए। कोई कहता है की सुबह नाश्ता करने से वजन बढता है तो किसी को यह आत्मज्ञान होता है की सुबह नाश्ता करने से मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। ऐसी बकवास और फिजूल बाते इसलिए ही की जाती है क्योंकि आधुनिक विज्ञान अभी तक यह तय नही कर पाया है की नाश्ता करना भी चाहिए या नही। दूसरा यह की ये सभी संशोधन पाश्चिमात्य देशों मे किये जाते है। न कि भारतवर्ष मे। इसलिए इन पाश्चिमात्य संशोधनों को भारतीय जीवनशैली के साथ जोडकर देखना गलत होगा।

4) नाश्ता किसे लेना चाहिए?

शास्त्र तो कहता है की भारतीयों को नाश्ते की आवश्यकता नहीं है। भारतीयों को सिर्फ दो भोजनकाल में ही अन्न ग्रहण करना चाहिए। फिर भी जिन लोगो को नाश्ते की आदत है ऐसे लोगो को नाश्ता करना ही चाहिए। नाश्ता बंद करने जैसे बदलावों को अगर आपका शरीर समायोजित (adjust) कर सकता है तो उत्तम अन्यथा चालू ही रखे तथा जो लोग मजदूर वर्ग से आते है, जिन्हे शारीरिक परिश्रम का काम करना होता है ऐसे लोगो को नाश्ता करना चाहिए। जिनकी जीवनचर्या में सुखासीनता होती है उन्हें संभव हो तो नाश्ता टालना ही चाहिए।

 

अस्तु। शुभम भवतु।