आजकल ज्यादातर लोगों में भूख न लगना, पाचन मंद होना, ज्यादा गैसेस होना, जोर जोर से (कर्कश ) डकार आना ऐसे लक्षणस्वरुप व्याधी मिलते है। इसके कारण तो वैसे कई सारे गिनाये जा सकते है। पर सबसे सामान्य कारण है - सुबह का नाश्ता।
सुबह के नाश्ते में न्यूनाधिक सभी लोग अर्थात अमीर हो या गरीब, दोनों चाय के साथ रोटी खाते है। सुलभ उपलब्धता के कारण यही नाश्ता सभी लोग पसंद करते है। परंतु ऐसा नाश्ता आयुर्वेद की दृष्टी से विरुद्धाहार है, साथ में चाय में स्थित द्रव्याधिक्य एवं कसैले स्वाद के कारण ये नाश्ता पाचनशक्ति को मंद एवं दुर्बल बना देता है। परिणामस्वरूप उपरोक्त सभी लक्षणों की उत्पत्ति होती है। प्रथमवस्था में यह लक्षण घरेलु उपचारों को प्रतिक्रिया (response) तो देता है। परंतु अनन्तर काल में हेतु सातत्य के कारण इन उपचारों से भी कोई लाभ नहीं होता। ऐसे वक्त कोई भी तज्ञ आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह लेकर स्वामीआयुर्वेद सिद्ध-एरण्ड-तैल से सद्योविरेचन करवाना चाहिये और उसके पश्चात् स्वामीआयुर्वेद द्राक्षावलेह का 3-4 महीने तक नियमित रूप से सेवन करना चाहिये, जिससे उपरोल्लिखित लक्षणरूप व्याधियोंका शमन तो होता ही है, बल्कि पुनरुद्भव भी नहीं होता।
©श्री स्वामी समर्थ आयुर्वेद सेवा प्रतिष्ठान, खामगाव